वैज्ञानिकों के अलावा साधारण उपभोक्ताओं के लिये एक ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत की गयीं जिसका नाम डी.ओ.स. –डोस (डिस्क ऑप्रेटिंग सिस्टम) रखा गया. यह ऑप्रेटिंग सिस्टम कंसोल मोड आधारित था, अर्थात इसमें माउस का उपयोग नहीं होता था न ही इसमें ग्राफ़िक से सम्बंधित कोई काम हो सकता था. इसमें फाइल और डायरेक्टरी बनाया जा सकता था जिसमे हम टेक्स्ट को सुरक्षित कर के रख सकते थे और पुनः उपयोग भी कर सकते थे.
डी.ओ.स. पूर्णतः आदेश (COMMAND) पर आधारित होता था. आदेश के दुवारा ही कंप्यूटर को निर्देशित कर सकते थे. जिन्हें जितना आदेश याद होता था उसे उतना ही जानकार माना जाता था. आदेश (COMMAND)- यह कंप्यूटर को निर्देशित करने का तरीका होता हैं. पहले ही कंप्यूटर को यह बतला दिया जाता है की निम्न शब्द का प्रयोग करने से निम्न प्रकार का ही काम करना हैं. और जब कोई उपभोक्ता बस उस आदेश को लिखता हैं तो कंप्यूटर स्वतः उस काम को निष्पादित करता हैं.
डी.ओ.स. को ऑप्रेटिंग सिस्टम का माँ भी कहा जाता हैं, क्योंकि हम आज जिस भी ऑप्रेटिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं उसका मुख्य आधार डी.ओ.स. ही होता हैं. बाद के समय में मायक्रोसॉफ्ट कंपनी ने इसे खरीद लिया, उसके बाद इसे ऍम.एस.डी.ओ.स. के नाम से जाना जाने लगा. हम यहाँ डी.ओ.स. के कमांडो का ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे क्योंकि आज हम प्रत्यक्ष रूप से इसका उपयोग नहीं करते हैं.
डी.ओ.स. में साधारणतया हमें “C:\>_” प्रकार की आकृति बनी हुई दिखाई पड़ती हैं. जब हम डी.ओ.स. खोलते हैं तो स्क्रीन के बायीं ओर यह दिखलाई पड़ता हैं.
C: यह बतलाता है कि हम हार्डडिस्क के किस भाग में हैं. सामान्यतः हार्डडिस्क C: D: E: में और फ्लॉपी A: के तौर पर दिखाई पड़ता हैं. यह क्रम कोई जरुरी नहीं होता.
यह बतलाता हैं कि हम किस डायरेक्टरी में हैं. डायरेक्टरी उस स्थान को कहा जाता हैं जहाँ हम फाइल को सुरक्षित रखते हैं, और फाइल हम उसे कहते हैं जिसके अंतर्गत सूचनाओं को रखा जाता हैं. दूसरे शब्दों में अगर कहें तो हम जो साधारण कॉपी पर लिखते हैं उससे फाइल कहा जाता हैं और उस कॉपी को सहेज कर रखने के लिये जो आलमारी या रैक का उपयोग किया जाता हैं उससे डायरेक्टरी कहते हैं.
डी.ओ.स. पूर्णतः आदेश (COMMAND) पर आधारित होता था. आदेश के दुवारा ही कंप्यूटर को निर्देशित कर सकते थे. जिन्हें जितना आदेश याद होता था उसे उतना ही जानकार माना जाता था. आदेश (COMMAND)- यह कंप्यूटर को निर्देशित करने का तरीका होता हैं. पहले ही कंप्यूटर को यह बतला दिया जाता है की निम्न शब्द का प्रयोग करने से निम्न प्रकार का ही काम करना हैं. और जब कोई उपभोक्ता बस उस आदेश को लिखता हैं तो कंप्यूटर स्वतः उस काम को निष्पादित करता हैं.
डी.ओ.स. को ऑप्रेटिंग सिस्टम का माँ भी कहा जाता हैं, क्योंकि हम आज जिस भी ऑप्रेटिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं उसका मुख्य आधार डी.ओ.स. ही होता हैं. बाद के समय में मायक्रोसॉफ्ट कंपनी ने इसे खरीद लिया, उसके बाद इसे ऍम.एस.डी.ओ.स. के नाम से जाना जाने लगा. हम यहाँ डी.ओ.स. के कमांडो का ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे क्योंकि आज हम प्रत्यक्ष रूप से इसका उपयोग नहीं करते हैं.
डी.ओ.स. में साधारणतया हमें “C:\>_” प्रकार की आकृति बनी हुई दिखाई पड़ती हैं. जब हम डी.ओ.स. खोलते हैं तो स्क्रीन के बायीं ओर यह दिखलाई पड़ता हैं.
C: यह बतलाता है कि हम हार्डडिस्क के किस भाग में हैं. सामान्यतः हार्डडिस्क C: D: E: में और फ्लॉपी A: के तौर पर दिखाई पड़ता हैं. यह क्रम कोई जरुरी नहीं होता.
यह बतलाता हैं कि हम किस डायरेक्टरी में हैं. डायरेक्टरी उस स्थान को कहा जाता हैं जहाँ हम फाइल को सुरक्षित रखते हैं, और फाइल हम उसे कहते हैं जिसके अंतर्गत सूचनाओं को रखा जाता हैं. दूसरे शब्दों में अगर कहें तो हम जो साधारण कॉपी पर लिखते हैं उससे फाइल कहा जाता हैं और उस कॉपी को सहेज कर रखने के लिये जो आलमारी या रैक का उपयोग किया जाता हैं उससे डायरेक्टरी कहते हैं.
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