Shahid Mirza is best programmer in the World

Sunday, November 27, 2011

How to Host Your Blog Scripts and Files on DropBox for Free

show you How to Host your scripts and files online with a Direct hotlink to your files. till now we are using the Google sites, Google Code or some other Free host's like FileDen, OpenDrive, Fileave, RipWay etc,. These free hosts are Giving Good features but our need is Bandwidth(Data Transfer Limit). DropBox are Providing us with 2GB hosting with 10GB/Day Bandwidth, and also we can get direct hot link to your files by Public sharing.

Step 1: Download the DropBox Software form this Link, and Launch the DropBox Setup by Double Clicking the Installer।


Step 2: Click Install button in DropBox Setup pop up window and Wait Until the software completes Installation.



Step 3: After Completing installation, DropBox Setup opens another popup window for account settings। if you not have DropBox account, then choose I don't have DropBox account and click Next Button.


Step 4: Fill the fields with Required data and Click Next button


Step 5: Choose 2 GB Free account and Click Next button


Step 6: Choose Typical settings and Click Install button


Step 7: a PopUp window opens for DropBox tour, click the Skip tour Button.


Step 8: Finally Click the Finish Button to Close the DropBox Setup.


Step 9: DropBox folder Opens automatically, If not then click the DropBox icon in the Taskbar।


Step 10: In DropBox folder open the Public folder, and paste your scripts or files in the Public folder.


Step 11: For getting Direct Link to you script or file, right click on the File --> go to DropBox --> Click the Copy Public Link


welcome Jovial Institute


Step 1: Register a New account on DropBox site and Login to your account


Step 2: Click on Files tab --> Open the Public Folder by Clicking on Public.

Step 3: Click on Upload Button.


Step 4: an Inline Pop-Up window opens, click on Choose Files button.


Step 5: Select the Files that you want to Upload / Host and Click Open Button.


Step 6: Click Start Upload button to Upload your files


Step 7: After Completes Uploading, click the Uploaded file to open the Drop Menu options, and then Choose the Copy Public Link Option.


Step 8: Click the Copy to Clipboard button to copy the Direct Link to your Clipboard.

Free Download DropBox Softeare Click the Below
Download

FACEBOOK से एल्बम कैसे डाउनलोड करें

fbDownloader की मदद से आप अपने पसंदीदा ऑनलाइन फ़ोटो का बैकअप आसानी से Hardisk में सुरक्षित रख सकते हैं photo रंग या काले और सफेद में डाउनलोड करें FbDownloader के साथ आप सभी काले और सफेद में इन तस्वीरों को अब हैंडाउनलोड कर सकते है,आपके सभी फ़ोटो टैग fbDownloader इसे अपने मित्रों के पृष्ठों पर डाउनलोड करने के लिए किसी फेसबुक फ़ोटो टैग को आसान बनाता है,fbDownloader की मदद से आप अपने दोस्तों की पसंदीदा एल्बम डाउनलोड करें






1. Download your friends' albums
Download facebook friends' albums from wedding albums to prom memories, fbDownloader lets you download your facebook friends' photo albums at a single click


2. Get all your tagged photos
fbDownloader makes it easy to download any Facebook tagged photos of you on your friends' pages.

३Download in color or in black & white
With fbDownloader you can download all these photos in black & white, now that's just pure fun :)





Backup all of your Facebook photo albums
Don't let your memories get erased, just download all your facebook photo albums right onto your PC, instantly backup all of your Facebook photos and albums to one secure location


No Hacking.
No Virus.
No Spyware.
The login process to your account will be managed by facebook's OAuoth 2.0. You will allowed to download only photos that are public to your account by facebook.




















Free Download Click the Below Link



DOWNLOAD (fbDownloader)

Tuesday, November 22, 2011

Gmail खाते को हटाना चाहते है

How to Delete Gmail Account

यदि आप कुछ unused GMail IDs जो आप किसी भी अन्य कारण से हटाना चाहते हैं या अब उसका कोई फायदा नहीं हैं अगर आप अपने Gmail खाते को हटाना चाहते हैं तो आप सही जगह पर हैं. यह एक साधारण प्रक्रिया है जो आपको Google के साथ आपके खाते को समाप्त करने में मदद करेगा यह स्थायी रूप से आपके GMail IDs, मेल पते, और प्रोफाइल नाम के लिए आपके खाते के डेटा और सेटिंग्स को हटा देगा
Follow the simple steps :





Step 1 :Log in to your Gmail account

Step 2: Make sure you have username and password of the account you want to delete.

Step 3: Click Settings at the top of the main Gmail page।


Step 4: Now Click Accounts in the Settings menu bar and then Click on the Google Account settings




Step 5: Now click on the Edit link next to ‘My products

Step6 : Now If you want to delete only Gmail account and not all services of google then click on the Remove Gmail Permanently else if you want to remove all services then click on the Close Account and Delete all services.


Step 7 : It will redirect you to the next page, Fill all the necessary details to delete the account. Click on the Remove Gmail.

Step 8: You are Done!



How to delete a gmail accounts

आप जीमेल खाते को दूसरी विधि से भी हटा सकते हैं
Follow the simple steps :

Click on the below link
https://www.google.com/accounts/EditServices

Login with your Gmail ID

You can click on any of the below there to delete your account
Delete a Product
Remove Gmail permanently

Delete Account
Close account and delete all services and info associated with it ( its mean you are deleting all the services linked to your this account e,g Facebook, twitet etc accounts that you using with this ID


Sunday, November 13, 2011

सिंगल यूजर और मल्टीयूजर क्या होता हैं!





जैसा की नाम से ही स्पष्ट है सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में कम्प्यूटर पर एक समय में एक आदमी काम सकता है । सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्यतः पर्सनल कम्प्यूटरों में प्रयोग किए जाते हैं, जिनका घरों व छोटे कार्यालयों में उपयोग होता है । डॉस, विंडोज इसी के उदाहरण है ।




मल्टीयूजर प्रकार के सिस्टमों में एक समय में बहुत सारे व्यक्ति काम कर सकते हैं और एक ही समय पर अलग-अलग विभिन्न कामों को किया जा सकता है । जाहिर है, इससे कम्प्यूटर के विभिन्न संसाधनों का एक साथ प्रयोग किया जा सकता है । यूनिक्स इसी प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम है ।

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्या होता हैं!

अव्यावहारिक तौर पर अगर कंप्यूटर को परिभाषित किया जाये तो हम हार्डवेयर को मनुष्य का शरीर और सॉफ्टवेर को उसकी आत्मा कह सकते हैं. हार्डवेयर कंप्यूटर के हिस्सों को कहते हैं, जिन्हें हम अपनी आँखों से देख सकते हैं, छू सकते हैं अथवा औजारों से उनपर कार्य कर सकते हैं! ये वास्तविक पदार्थ है! इसके विपरीत सॉफ्टवेयर कोई पदार्थ नहीं है! ये वे सूचनाएं, आदेश अथवा तरीके हैं जिनके आधार पर कंप्यूटर का हार्डवेयर कार्य करता है! कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर से परिचित होते हैं अथवा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के हार्वेयर से परिचित एवं उनपर आधारित होते हैं!

हार्डवेयर का निर्माण कारखानों में होता है, जबकि सॉफ्टवेयर कंप्यूटर ज्ञाता के मस्तिष्क की सोच द्वारा बनाएं जाते हैं, जिनके आधार पर कल -कारखाने हार्डवेयर को उत्पादित करते हैं! सामन्य भाषा में कहा जाए तो सॉफ्टवेयर कंप्यूटर द्वारा स्वीकृत विनिर्देश होते हैं जिनके माध्यम से कंप्यूटर कार्य करते हैं! कंप्यूटर हार्डवेयरों के निर्माण में उच्च टेक्नोलोजी का इस्तेमाल किया जता है! इनका निर्माण कल -कारखानों में ही मशीनों व उपकरणों की सहायता से होता है! सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिद्धांतो के आधार पर हार्डवेयर के लिए आवश्यक निर्देश होते हैं, इन्हें तैयार करने के लिए किसी कारखाने की आवश्यकता नहीं होती! कोई भी व्यक्ति जो कंप्यूटर के मूल सिद्धांतो एवं कार्य प्रणाली से परिचित हो अपने मस्तिष्क के उपयोग से सॉफ्टवेयर तैयार कर सकता है

कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर क्या होता है

कम्पाइलर
कम्पाइलर किसी कम्प्यूटर के सिस्टम साफ्टवेयर का भाग होता है । कम्पाइलर एक ऐसा प्रोग्राम है, जो किसी उच्चस्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम का अनुवाद किसी कम्प्यूटर की मशीनी भाषा में कर देता है ।

उच्चस्तरीय भाषा प्रोग्राम –> कम्पाइलर –> मशीनी भाषा प्रोग्राम

हर प्रोग्रामिंग भाषा के लिए अलग-अलग कम्पाइलर होता है पहले वह हमारे प्रोग्राम के हर कथन या आदेश की जांच करता है कि वह उस प्रोग्रामिंग भाषा के व्याकरण के अनुसार सही है या नहीं ।यदि प्रोग्राम में व्याकरण की कोई गलती नहीं होती, तो कम्पाइलर के काम का दूसरा भाग शुरू होता है ।यदि कोई गलती पाई जाती है, तो वह बता देता है कि किस कथन में क्या गलती है । यदि प्रोग्राम में कोई बड़ी गलती पाई जाती है, तो कम्पाइलर वहीं रूक जाता है । तब हम प्रोग्राम की गलतियाँ ठीक करके उसे फिर से कम्पाइलर को देते हैं ।

इन्टरप्रिटर
इन्टरपेटर भी कम्पाइलर की भांति कार्य करता है । अन्तर यह है कि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को एक साथ मशीनी भाषा में बदल देता है और इन्टरपेटर प्रोग्राम की एक-एक लाइन को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है । प्रोग्राम लिखने से पहले ही इन्टरपेटर को स्मृति में लोड कर दिया जाता है ।

कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर में अन्तर


इन्टरपेटर उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम की प्रत्येक लाइन के कम्प्यूटर में प्रविष्ट होते ही उसे मशीनी भाषा में परिवर्तित कर लेता है, जबकि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम के प्रविष्ट होने के पश्चात उसे मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है ।

कंप्यूटर और मानवीय मस्तिष्क


कल्पनाशीलता अथवा रचनात्मकता कंप्यूटरों की सीमा के बाहर है. जिस किसी काम की कभी कल्पना नहीं की गई हो कंप्यूटर उसे नहीं कर सकते जबकि मानवीय मस्तिष्क इस सीमा को लांघने की शक्ति रखता है. कंप्यूटर मानवीय मस्तिष्क से संभव हो सकने वाले कामो में से बहुत कम काम ही कर सकता है इसलिए कंप्यूटर मानव के दास की भूमिका में ही केवल सटीक बैठता है. कंप्यूटर जो भी काम कर सकता है दरसल वो मानवीय मस्तिष्क का ही देन होता हैं. हरेक एक मनुष्य का मस्तिष्क अलग अलग होता है, वो एक ही काम को अलग अलग तरीकों से करेगा, परन्तु १० या १००० एक जैसा तैयार किया गया कंप्यूटर एक जैसा ही काम करता है.



कंप्यूटर प्रोग्रामर (जो कंप्यूटर को निर्देषित करता है) कंप्यूटर को पहले बतलाता है की ________ + _______ = ? का अगर कहीं जवाब देना हैं तो खाली जगह में भरा गया पहले नंबर का बिट और दूसरे नंबर की बिट को जोड़ने पर जो भी बिट आयेगी उससे पुनः डिजिटल में प्रदर्शित करना है. इसके बाद जब भी कोई यूसर (जो बनाये गए प्रोग्राम को उपयोग करता है) ______+______=? के जगह 2 + 4 = ? पूछेगा तो कंप्यूटर तुरंत 2+4 = 6 को प्रदर्शित कर देगा. इसके बदले अगर वह बार बार कोई अलग संख्या भी देगा तो उससे तुरंत जवाब मिलेगा.

हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी के बीच अंतर

1. मोनिटर में दिखने वाली कॉपी को सोफ्ट कॉपी कहा जाता हैं.

2.Cd को सोफ्ट कॉपी कहा जाता हैं.

3. प्रिंटर से निकाले गए कॉपी को हार्ड कॉपी कहा जाता हैं.

DOS डी.ओ.स. –डोस (डिस्क ऑप्रेटिंग सिस्टम) क्या है

वैज्ञानिकों के अलावा साधारण उपभोक्ताओं के लिये एक ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत की गयीं जिसका नाम डी.ओ.स. –डोस (डिस्क ऑप्रेटिंग सिस्टम) रखा गया. यह ऑप्रेटिंग सिस्टम कंसोल मोड आधारित था, अर्थात इसमें माउस का उपयोग नहीं होता था न ही इसमें ग्राफ़िक से सम्बंधित कोई काम हो सकता था. इसमें फाइल और डायरेक्टरी बनाया जा सकता था जिसमे हम टेक्स्ट को सुरक्षित कर के रख सकते थे और पुनः उपयोग भी कर सकते थे.
डी.ओ.स. पूर्णतः आदेश (COMMAND) पर आधारित होता था. आदेश के दुवारा ही कंप्यूटर को निर्देशित कर सकते थे. जिन्हें जितना आदेश याद होता था उसे उतना ही जानकार माना जाता था. आदेश (COMMAND)- यह कंप्यूटर को निर्देशित करने का तरीका होता हैं. पहले ही कंप्यूटर को यह बतला दिया जाता है की निम्न शब्द का प्रयोग करने से निम्न प्रकार का ही काम करना हैं. और जब कोई उपभोक्ता बस उस आदेश को लिखता हैं तो कंप्यूटर स्वतः उस काम को निष्पादित करता हैं.

डी.ओ.स. को ऑप्रेटिंग सिस्टम का माँ भी कहा जाता हैं, क्योंकि हम आज जिस भी ऑप्रेटिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं उसका मुख्य आधार डी.ओ.स. ही होता हैं. बाद के समय में मायक्रोसॉफ्ट कंपनी ने इसे खरीद लिया, उसके बाद इसे ऍम.एस.डी.ओ.स. के नाम से जाना जाने लगा. हम यहाँ डी.ओ.स. के कमांडो का ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे क्योंकि आज हम प्रत्यक्ष रूप से इसका उपयोग नहीं करते हैं.

डी.ओ.स. में साधारणतया हमें “C:\>_” प्रकार की आकृति बनी हुई दिखाई पड़ती हैं. जब हम डी.ओ.स. खोलते हैं तो स्क्रीन के बायीं ओर यह दिखलाई पड़ता हैं.

C: यह बतलाता है कि हम हार्डडिस्क के किस भाग में हैं. सामान्यतः हार्डडिस्क C: D: E: में और फ्लॉपी A: के तौर पर दिखाई पड़ता हैं. यह क्रम कोई जरुरी नहीं होता.

यह बतलाता हैं कि हम किस डायरेक्टरी में हैं. डायरेक्टरी उस स्थान को कहा जाता हैं जहाँ हम फाइल को सुरक्षित रखते हैं, और फाइल हम उसे कहते हैं जिसके अंतर्गत सूचनाओं को रखा जाता हैं. दूसरे शब्दों में अगर कहें तो हम जो साधारण कॉपी पर लिखते हैं उससे फाइल कहा जाता हैं और उस कॉपी को सहेज कर रखने के लिये जो आलमारी या रैक का उपयोग किया जाता हैं उससे डायरेक्टरी कहते हैं.

विन्डोज़ का एसेसरीज मेनू

विंडोज के अंदर का अधिकांश आंतरिक प्रोग्राम एसेसरीज मेनू के अंदर दिखलाया जाता हैं जो स्टार्ट बटन के अंदर समाहित होता है.

एसेसरीज मेनू खोलने के लिए टास्कबार मे मौजूद स्टार्ट बटन पर क्लिक (जहाँ केवल एक बार क्लिक लिखा होगा वहाँ माउस का बयाँ बटन बस एक बार दबाना होगा ) करेंगे , फिर आल प्रोग्राम पर क्लिक करेंगे तो उसी से सटा हुआ एक और मेनू खुलेगा वहाँ साधारण तौर पर सबसे ऊपर एसेसरीज लिखा होता है (“Δ” प्रकार का सिम्बल मेनू मे जहाँ दिखेगा उसका मतलब हुआ की उसके अंदर और प्रोग्राम मौजूद है) वहाँ एसेसरीज पर क्लिक करेंगे तो एक और मेनू खुलेगा जो इस प्रकार दिखाई देगा



डेटा ट्रांसमिशन सेवा (Data Transmission Service)

डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजने के लिए जिस सेवा का उपयोग होता हैं उसे डेटा ट्रांसमिशन सेवा कहते हैं. इस सेवा को देने वाले को डेटा ट्रांसमिशन सेवा प्रदाता (Data Transmission Service Provider) कहते हैं. जैसे-

1. 1. VSNL- विदेश संचार निगम लिमिटेड



2. BSNL- भारत संचार निगम लिमिटेड
3. MTNL- महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड





डेटा ट्रांसमिशन सेवा निम्नलिखित हैं-

१.डायल अप लाइन (Dialup Line) – डायल अप लाइन टेलीफोन कनेक्शन से सम्बंधित हैं जो एक सिस्टम में बहुत सारे लाइनों तथा यूजर्स से जुड़ा होता हैं. इसका उपयोग टेलीफोन की तरह नंबर डायल कर संचार स्थापित करने में किया जाता हैं. इसे कभी कभी स्विच लाइन भी कहा जाता हैं. यह पहले से विद्यमान टेलीफोन सेवा का उपयोग करता हैं. ब्रॉडबैंड तकनीक भी डायल उप कनेक्शन का ही उपयोग करता हैं.

२.लीज्ड लाइन (Leased Line) – लीज्ड लाइन आवाज और डेटा दूरसंचार सेवा के लिए दो स्थानों को जोड़ती हैं. यह एक सिर्फ, समर्पित लाइन (Dedicated Line) नहीं हैं, बल्कि यह वास्तव में दो बिंदु के बीच आरक्षित सर्किट हैं. इसका सबसे ज्यादा उपयोग उद्यगो दुवारा अपने शाखाओं को जोड़ने के लिए किया जाता हैं क्यूंकि यह नेटवर्क ट्राफिक के लिए बैंडविड्थ की गारण्टी देता हैं.

३.एकत्रित सेवा डिजिटल नेटवर्क (ISDN- Integrated Services Digital Network)- एकत्रित सेवा डिजिटल नेटवर्क सर्किट स्विच टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से आवाज, डेटा और छवी का स्तान्तरण हैं. इस सेवा के अंतर्गत आवाज, डेटा और छवी को डिजिटल रूप में भेजा जाता हैं और जरुरत के अनुरूप इस्तेमाल किया जाता हैं. इस सेवा में मोडेम की जरुरत नहीं होती क्यूंकि डेटा का आदान प्रदान केवल डिजिटल रूप में होता हैं.

इन्टरनेट सॉफ्टवेयर या वेब ब्राउजर क्या है

इन्टरनेट सॉफ्टवेयर या वेब ब्राउजर

वेब एक विशाल पुस्तक की तरह हैं तथा वेब ब्राउजर एक सोफ्टवेयर हैं जो कंप्यूटर को इन्टरनेट से जोड़ता हैं. कुछ वेब ब्राउजर निम्नलिखित हैं-

1. माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सप्लोरर

2. मोजिला फ़ायरफोक्स

3. नेटस्केप नेविगेटर

4. ओपेरा

5. गूगल क्रोम

6. JOVIAL INSTITUTE lOGO


इन सोफ्टवेयर का उपयोग कर हमलोग इन्टरनेट से जुड़ सकते हैं, तथा वेब से अपनी पसंद की जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं. वेब ब्राउजर का प्रयोग कर हम लोग किसी विशेष पेज या लोकेशन पर उसके पता (Address) को टाइप कर जा सकते हैं. URL (Universal resources locater) में प्रयुक्त हो रहे टूल्स और इन्टरनेट पता दोनों रहता हैं. जैसे – URL http://www.jovialinstitute.blogspot.com में टूल्स http (hypertext transfer protocol- यह एक प्रोटोकॉल अर्थार्त एक पूर्व से निर्धारित नियम हैं जिसका काम संकेत को दिए गए इन्टरनेट पता पर भेजना हैं) हैं और इंटरनेट पता www.jovialinstitute.blogspot.com हैं.

इंटरनेट में मोडेम का उपयोग कैसे किया जाता हैं.





जब इन्टरनेट को टेलीफोन लाइन के माद्यम से कनेक्ट करते हैं तो मोडेम की अवश्यकता होती हैं. यह कंप्यूटर में चल रहे इन्टरनेट ब्रोजर और इन्टरनेट सर्विस प्रदाता के बीच आवश्यक लिंक हैं. टेलीफोन लाइन पर एनालोग सिग्नल भेजा जा सकता हैं, जबकि कंप्यूटर डिजिटल सिग्नल देता हैं. अतः इन दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए मोडेम की अवश्यकता होती हैं, जो डिजिटल सिग्नल को एनालोग में और एनालोग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में रूपांतरित करता हैं. मोडेम के दोनों ओर कंप्यूटर ओर टेलीफोन लाइन से जुड़ा होना अवश्यक होता हैं. मोडेम से स्पीड को Bit Per Second (BPS), Kilobyte Per Second (KBPS), Megabyte Per Second (MBPS), में मापा जाता हैं.

मोडेम मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –

1. इंटरनल (आंतरिक) मोडेम – ऐसा मोडेम जो डेस्कटॉप या लैपटॉप में अंदर से ही लगा होता हैं. ऐसा मोबाइल जिसमे हम इन्टरनेट का प्रयोग करते हैं, उसमे इसी प्रकार के मोडेम का इस्तेमाल किया जाता हैं.




2. एक्स्टर्नल (बाह्य) मोडेम- ऐसा मोडेम जिसे डेस्कटॉप या लैपटॉप में बाहर से लगाना पड़ता हैं. डेटा कार्ड (Photon, IDIA etc) या PCMCI में इस प्रकार के मोडेम का उपयोग किया जाता हैं.



अतः मोडेम एक ऐसा डिवाइस हैं जो डेटा को पल्स में परिवर्तित करता हैं तथा उन्हें टेलीफ़ोन लाइन पर संप्रेषित करता हैं.

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